Sunday, July 4, 2010

किस ने दिल के मिज़ाज को जाना

बे-सबब ही उदास हो जाना
किस ने दिल के मिज़ाज को जाना

वो मिरा ढूंढना तुझे हर सू
वो तिरा इस जहां में खो जाना

आंसुओं एक दिन रवां हो कर
आसियों के गुनाह धो जाना

अह्दे-हाज़िर के नेक इन्सानों
बीज तुम नेकियों के बो जाना

गम़ की फुंकारती हुई नागिन
एक शब मेरे साथ सो जाना

आ के ऐ यादेऱ्यार निश्तर सा
रगे-एहसास में चुभो जाना

हम को आता है ये भी फ़न 'रहबर`
ख़ार से भी लिपट के सो जाना



श्री राजेंद्र नाथ रहबर

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