Wednesday, June 9, 2010

दिल ने जिसे चाहा हो क्या उस से गिला रखना


दिल ने जिसे चाहा हो क्या उस से गिला रखना
उस के लिये होंटों पर हर वक्त़ दुआ रखना
 
जब क़िस्मतें बटती थीं ऐसा भी था मुश्किल
उस वक्त़ सनम तुझ को क़िस्मत में लिखा रखना
 
जब हम ने अज़ल ही से तय एक डगर कर ली
फिर रास आयेगा राहों को जुदा रखना
 
वो नींद के आलम से बेदार हो जायें
हौले से क़दम अपना बादे-सबा रखना
 
आयेगा कोई भंवरा रस चूसने फूलों का
तुम फूल तबस्सुम के होंटों पे खिला रखना

आयेंगे वो 'रहबर` सो जायेगी जब दुनिया
पत्तों की भी आहट पर तुम कान लगा रखना



श्री राजेंद्र नाथ रहबर

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