Wednesday, June 23, 2010

क्या करे एतिबार अब कोई

क्या करे एतिबार अब कोई
रूठ जाये न जाने कब कोई

वो तो ख़ुशबू का एक झोंका था
उस को लाये कहां से अब कोई

क्यों उसे हम इधर उधर ढूंढे
दिल ही में बस रहा है जब कोई

वो हसीं१ कौन था, कहां का था
पूछ लेता हसब-नसब२ कोई

प्यार से हम को कह के दीवाना
दे गया इक नया लक़ब३ कोई

आज दिन क़हक़हों में गुज़रा है
रो के काटेगा आज शब४ कोई

उस से क्या अपनी दोस्ती 'रहबर`
वो समझता है ख़ुद को रब कोई

श्री राजेंद्र नाथ रहबर

No comments:

Post a Comment